लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। सोहनलाल द्विवेदी जी की यह कविता बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन पर बिल्कुल फ़िट बैठती हैं। अमिताभ बच्चन यूं ही स्टार नहीं बने। इसके लिए उन्होंने बड़ी मेहनत और संघर्ष किया है। जिसके बलबूते पर आज हो बॉलीवुड के सबसे बड़े और हाईएस्ट पैड एक्टर है।
संघर्षों से मिली सफ़लता-: अमिताभ बच्चन ने बताया है कि जब वह 1967 में कोलकाता की नौकरी छोड़ कर मुंबई हीरो बनने आए थे तब उनके हाथ इंदिरा गांधी का लिखा हुआ एक सिफारशी पत्र भी था। आपको बता दें की इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन में काफी अच्छी दोस्ती थी। संघर्ष के शुरुआती दिनों में अमिताभ बच्चन मुंबई के नरीमन पॉइंट में एक पब्लिक बेंच पर सोया करते थे और वडापाव और भुट्टे खाकर निर्देशकों और निर्माताओं के ऑफिस के चक्कर लगाया करते थे।
झेली बड़ी आर्थिक तंगी-: बतौर अभिनेता स्ट्रगल करते हुए अमिताभ बच्चन ने बड़ी आर्थिक तंगी झेली है। उन्होंने बताया कि एक बार पैसे ना होने की वजह से अंधेरी ईस्ट के कमालिस्तान फिल्म स्टूडियो से मलाड तक पैदल चले गए थे। अपने संघर्ष के दिनों में अमिताभ को छोटे-मोटे रोल्स करने पड़े थे। इस किस्से का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि शशि कपूर इस्माइल मर्चेंट की फिल्म “बॉम्बे टॉकी” में काम कर रहे थे।। उस फिल्म में एक फ्यूनरल सीन के लिए जूनियर एक्टर्स की ज़रूरत थी, जिसके लिए उन्हें ₹500 मिलने वाले थे। अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन और शशि कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर में अच्छी दोस्ती थी, जिसकी वजह से दोनों एक दूसरे थोड़ा बहुत जानते थे।
शशि कपूर ने दिया दिलासा-: शशि कपूर ने जब अमिताभ को “बॉम्बे टॉकी” के सेट पर देखा तो अमिताभ से पूछा तुम यहां क्या कर रहे हो?तब अमिताभ ने उन्हें अपने सीन के बारे में बताया। तब शशि कपूर ने उन्हें समझाया कि तुम यहां हीरो बनने आए हो ऐसे छोटे-मोटे रोल मत करो। यह तुम्हारे करियर के लिए ठीक नहीं है। तब अमिताभ ने उन्हें अपने आर्थिक स्थिति के बारे में बताया तो शशि कपूर ने उन्हें दिलासा देते हुए कहा की पैसों की कमी है तो मुझसे लो लेकिन यह छोटे-मोटे रोल मत करो। हालांकि अमिताभ ने उनकी बात नहीं मानी और उन्होंने सीन शूट किया और पैसे लिए। शशि कपूर ने जब यह देखा तो उन्होंने डायरेक्टर से कह कर अमिताभ के सारे शॉट्स कटवा दिए।
ख्वाज़ा अहमद अब्बास ने दिया पहला ब्रेक-: अमिताभ बच्चन को पहला बड़ा ब्रेक फिल्म “सात हिंदुस्तानी” में ख्वाजा अहमद अब्बास ने दिया। कवि होने के नाते अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन की बड़े-बड़े लोगों से दोस्ती थी,और हरिवंश राय बच्चन के नाम पर ही ख्वाजा ने अमिताभ बच्चन का अपनी फिल्म में साइन कर लिया।
इस फिल्म के लिए उन्हें ₹5000 बतौर फीस मिली थी। इस फिल्म ने राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता था। लेकिन अमिताभ बच्चन का संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ। उसके दो साल बाद अमिताभ को राजेश खन्ना के साथ फिल्म “आनंद” मिली जिसने उनके कैरियर को सही मायने में शुरुआत दी। उसके बाद 1973 में आई फिल्म जंजीर ने अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बना दिया और वह एंग्री यंग मैन के तौर पर दर्शकों में लोकप्रिय हो गए।
इसे भी पढ़ें-:
- छोटी उम्र में प्रेग्नेंट हो गई थी श्वेता बच्चन, पिता अमिताभ ने उठाया था यह कदम
- पहली ही फ़िल्म में दिया था बोल्ड सीन, आज इस हाल में है फ़िल्म “राम तेरी गंगा मैली” की मंदाकिनी
- पर्दे पर पिता-पुत्र के साथ इश्क़ लड़ा चुकी हैं अभिनेत्रियां, एक ने दिए थे बोल्ड और इंटिमेट सीन
- क्या करती हैं 80’s के दशक की मशहूर बाल अदाकारा बेबी गुड्डू, जानें उनके बारे में सब कुछ