26 अप्रैल मंगलवार वैशाख मास की पहली एकादशी व्रत है। इस दिन सूर्योदय से पहले भगवान विष्णु के वराह रूप की तीर्थ यात्रा, स्नान, भिक्षा, उपवास और पूजा करने की परंपरा है। पुराणों में इस दिन को सन कहा गया है। क्योंकि तिथि और वैशाख मास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं। वरुथिनी एकादशी का व्रत और पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट, पाप और विपत्तियां दूर हो जाती हैं।
वराह अवतार की पूजा
वैशाख मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी की पूजा भगवान विष्णु के वराह स्वरूप के रूप में की जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं। इसलिए इस दिन उपवास और पूजा का बहुत महत्व है।
दुर्भाग्य तेज
पुरी के ज्योतिषी डॉ. गणेश मिश्र कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सौभाग्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत करने से सभी प्रकार के दुख दूर होते हैं और सुख में वृद्धि होती है। वहीं दरिद्रता, दुख और दुर्भाग्य को दूर करने के लिए इस दिन पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और दक्षिण शंख का जल से अभिषेक करना चाहिए।
स्नान समारोह
वैशाख मास में वरुथिनी एकादशी का विशेष दिन होता है। इस तिथि पर सूर्योदय से पहले तीर्थयात्रा पर भगवान विष्णु की कृपा होती है। पद्म, स्कंद और विष्णुधर्मोत्तर पुराणों में इस दिन अन्न और जल के दान का उल्लेख मिलता है। ऐसा करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। जो कभी खत्म नहीं होता। साथ ही मनुष्य, देवताओं और पूर्वजों को भी संतुष्टि मिलती है।