जिस तरह से शनिदेव की साढ़ेसाती या उनके प्रकोप से लोगों की रूह काँपती है वैसे ही राहु और केतु का समय भी होता है । शनि के साढेसाती के कारण आपके काम बिगड़ जाते है चाहे ये काम बन चुका हो या बनने वाला हो आखिर में बिगड़ ही जाता है । जैसे शनि को किसी राशि से दूसरे राशि मे प्रवेश करने में ढाई साल लगता है वैसे ही राहु की भी 18 महीने का समय लेता है किसी भी राशि से दूसरे राशि मे प्रवेश लेने में और इसका किसी भी राशि मे प्रवेश होने से बहुत हानि होता है । कहते है कि यदि राहु-केतु किसी भी राशि मे प्रवेश करते है तो उन राशि वाले को बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ता है ।
●परिवार पर इसका प्रभाव:- जब भी राहु-केतु किसी राशि मे प्रवेश करते है तो परिवार में कुछ भी सामान्य नहीं रहता है।
पारिवारिक लोगों का जीवन अच्छा नहीं होता है। शादी-शुदा जिंदगी में तनाव रहता है। साथ ही एक से ज्यादा शादी होने की संभावना होती है। पारिवारिक संपत्ति या तो नहीं मिलती या मुकदमों में फंस जाती है। संतान उत्पत्ति में देरी होती है और एक संतान समस्या का कारण बनती है।
●रोजगार पर इसका प्रभाव:- जिसके भी राशि मे राहु-केतु का आगमन होता है उनका झुकाव अक्सर चमड़े, शराब, नशीले पदार्थ और कभी-कभी इलेक्ट्रोनिक्स जैसे व्यवसाय की तरफ होता है।ये आम तौर पर शेयर बाजार, सट्टा लॉटरी और राजनीति में भी भाग्य आजमाते हैं। ऐसे लोग चाहे जितना भी मेहनत कर ले लेकिन इनके जीवन में काफी उतार चढ़ाव होता है।
●राहु-केतु का अच्छा प्रभाव:- आपको बता दे कि राहु-केतु सिर्फ बुरे समय ही नही बल्कि अच्छा समय भी लाते है। बहुत ही कम ऐसे लोग होते है जिन पर इनकी वजह से अच्छा समय आता है , आपको बता दे कि जिन लोगो पर ये महरबान होते है वो यश बहुत पाता है परिवार में बहुत खुशियां आती है ।वे घर से दूर जाकर उन्नति करते हैं। इसके अलावा मध्यायु के बाद व्यक्ति को राजनैतिक सफलता मिलती है। वहीं अगर किसी की राशि में चंद्रमा कमजोर होता है तो व्यक्ति के मन में शांति पैदा होती है। व्यक्ति ईश्वर की उपलब्धि की ओर जाता है और मुक्ति मोक्ष के लिए प्रयास करता है। ऐसे लोगों को यदि सही दिशा मिले तो ये समाज को नई दिशा देते हैं।
●राहु-केतु के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय:- नशीले पदार्थ और उलटी सीधी चीजें खाने वाले लोगों पर राहु केतु का बुरा असर पड़ता है, इसलिए इन चीजों को खाना छोड़ दें। सुबह के समय काल खाली पेट तुलसी के पत्ते खाएं। संभव हो तो सोना और चांदी मिश्रित अंगूठी जरूर पहन लें।गायत्री मंत्र या ईष्ट मंत्र का नियमित जाप करें। मस्तक पर चन्दन जरूर लगाएं।