होलिका दहन से पूर्व के 8 दिनों को शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना जाता है। कहा जाता है इन 8 दिनों में बेहद से ऐसे कार्य है जिन्हे करने से आप आपका मन अशांति से भर सकता है, सुख समृद्धि की कमी हो सकती है। इन दिनों भगवन की पूजा अर्चना तो जम के की जाती है, भगवान कृष्ण के मंदिरों में विशेष पूजा-श्रंगार के साथ उत्सव मनाए जाते हैं।
भक्ति के नजरिए से इन दिनों को काफी अच्छा माना जाता है। मगर अन्य कई कार्यों के लिए इन दिनों को बेहद अशुभ माना जाता है जिसके पीछे 2 कथाएँ प्रचलित है। जिनमे से एक कथा तो देवों के देव महादेव से जुडी हुई है तथा दूसरी कथा भगवान विष्णु और उनके भक्त प्रह्ललाद से जुडी हुई है।
भक्त प्रहलाद से जुडी कथा
भक्त प्रह्लाद की कहानी तो हम सब ने सुनी ही है की किस प्रकार वह भगवान् श्री विष्णु के अनन्य भक्त थे। परन्तु प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था जिसके कारण उसे अपने बेटे का किसी और के प्रति भक्ति करना ज़रा भी पसंद नहीं था। जिसके चलते पहले तो उसने अपने गुरु से कहा कि प्रह्लाद की ये भक्ति छुड़वा दे परन्तु वे ऐसा करने में असफल रहे।
जिसके कारण हिरण्यकश्यप का क्रोध आसमान छूने लगा और उसने अपने बेटे को मरवाने के आदेश दे डाला। जिसके बाद सैनिकों ने प्रह्लाद को मारने की अलग अलग कोशिशें करि मगर एक भी कामयाब नहीं हो पाई। उन्होंने प्रह्लाद को जहर पिलाया, तलवार से प्रहार किया, नाग के सामने छोड़ा, हाथियों से कुचलवाना चाहा, लेकिन हर बार भगवान ने प्रह्लाद की जान बचाई।
आपको बता दे की हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि होली से पहले के आठ दिन यानी अष्टमी से पूर्णिमा तक प्रहलाद को काफी यातनाएं दी गई थीं। जिसकी याद में होलाष्टक मनाया जाता है। होलाष्टक मे किसी भी पैसो या कारोबार से संबधित काम को करने पर उन्हें शुभ नहीं माना जाता है।
महादेव से जुडी कथा :
देवो के देव महादेव से जुडी कथा के अनुसार जब हिमालय पुत्री पार्वती जी शिव जी पति के रूप में पाने के लिए कामदेव जी की सहायता मांगी तो कामदेवजी माता पार्वती की बात रखने शिव जी के पास गए। जब उन्होंने देखा कि शिव जी तपस्या में लीन है तो उन्होंने प्रेम बाण चलाया और शिव की तपस्या भंग हो गई। जिसके कारण शिव जी क्रोध में आ गए और अपनी तीसरी आँख से कामदेव को नस्ट कर दिया।
यही प्रमुख वजह है कि पुराने समय से होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकात्मक रूप से जलाकर सच्चे प्रेम के विजय का उत्सव मनाया जाता है। शिव जी ने जिस दिन कामदेव को भस्म किया उसी दिन से होलाष्टक की प्रथा शुरू हुई।
कौनसे काम नहीं करने चाहिए होलाष्टक के दिनों :
आपकी जानकारी के लिए बता दे की होलिका दहन से 8 दिनो पूर्व में कोई भी वैवाहिक कार्य, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कामों को करने की मनाही होती है। इस दौरान प्रह्लाद ने भगवान विष्णु जी की आराधना की थी जिसके चलते भगवन ने उन्हें हर संकट से बचा के रखा। इस दौरान भजन-कीर्तन, वैदिक अनुष्ठान और यज्ञ करने चाहिए ताकि कष्टों से मुक्ति मिल सके।